Friday 6 October 2017

गाना 'इन्ही लोगोंने ले लीना दुपट्टा मोरा-----'






    गाना 'इन्ही लोगोंने ले लीना दुपट्टा मोरा-----' 
    'इन्ही लोगोंने ले लीना दुपट्टा मोरा-----' ये प्रसिद्ध और पौराणिक गाना तीन चित्रपटोंमे फिल्माया गया।  पहली फिल्म थी १९४१की 'हिम्मत'। आर. के. शोएरीके दिग्दर्शित फिल्ममें प्रमुख कलाकार थे मनोरमा, राधा और रागनी।  ये गाना शमशाद बेगमने गया था। संगीतकार थे गोबिंदराम।  



https://www.facebook.com/vinay.trilokekar/videos/1705221499508591/




 
 दूसरी फिल्म थी 'आबरू'। हिन्द पिक्चर्स निर्मित और नाज़ीर दिग्दर्शित इस फिल्ममे सितारा देवी, याकूब, मासूद,  नज़ीर अहमद, लड़दान और चंदाबाई। संगीत दिया था पंडित गोबिंदराम। याकूबने गया था ये गाना।  






 तीसरी १९७२की पाकिज़ह। फ़िल्मके स्क्रिप्ट को लिखा, निर्मित और दिग्दर्शितभी किया था कमल अमरोहिने। संगीतकात थे  घुलाम मोहमद और नौशाद अली. कलाकार थे मीना कुमारी, राजकुमार, अशोक कुमार, नादिरा, सप्रू, और वीणा। और लताबाई मंगेशकरने इस लेजेंडरी गानेको गया था

https://www.facebook.com/vinay.trilokekar/videos/1705281796169228/

लोग कहते है की आज (?) रीमेक का जमाना है।  पर ये रीमेक वाला मामला सदियोंसे चला आरहा है।  और ये बात मुझे मेरे ब्लॉग 'Copycats of the Cinema World' की याद दिलाती है।  पढियेगा जरूर। ब्लॉगमे 'Plagiarism ' अर्थात साहित्यिक चोरी और 'copycat' अर्थात नकलची के साथ ये 'रीमेक ' वाली बात का ज़िक्र (उल्लेख ) किया है। फिल्म 'देवदास' नये सिरे से बनाये हुए , याने  सिनामाओंके 'रीमेक' का अग्रगण्य और प्रथम श्रेणीका नमूना होगा। सरत चंद्र चट्टोपाध्यायने (उन्हें फिल्ममें सरत चंद्र चटर्जी नामसे श्रेय दिया है ) बंगाली प्रेम प्रसंग उक्त (romantic) उपन्यास 'देबदास' দেবদাস, अपने सत्रा सालकी उमरमें लिखिथी। इसी उपन्याससे आधारित कमसे काम १६ फिल्मे बनी - १ मूक चित्रपट, ५ बंगालीमें ( २ बांग्लादेशने बनाये), ४ हिंदीमें, १ आसामी, २ उर्दूमें (एक -पाकिस्तानी), तेलगु और तमिल में २ और १ मलयालम भाषेमे। मेरे बचपन मैंने जो पहले देखि वह थी १९३६ -सैगलसाहब वाली देवदास। मुझे वह बहुत धीरे - धीरे चलने वाली एक - a slow motion picture - संवादभी धीरे धीरे - जैसे , “दे... व.. दास, ,…(एक लम्बी साँस) घ...  र. ....(एक ठहराव)      च...(अटक-अटकसे) लोगे?"  " ना" दे... दास ..क्या ...  दारु ...पियोगे?" "हाँ। " क्या ये वार्तालाप ख़तम होंगे की नहीं? 'देवदास घर चलोगे' इतना पूछने तक हम सरे घर जाकर वापस थिएटरमें लौट भी सकते थे।लेकिन मेरी माँकी सोच अलग थी। माँ के लिए सब गज़ब और अद्भुत - अदाकारी विलक्षण -गाने उत्कृष्ट और शानदार -  माँ केलिए उस फ़िल्ममें न कोई दोष न कोई कमिया। कुंदन लाल सैगलजीने गाये हुए गाने - वाह, क्या बात! उनके ऊँचे सुर - शायद पंकज मालिक मलिक और पहाड़ी सन्याल थोड़े निचे मात्राके सुरमें - लताजी के सुर केवल उनके आधे मात्रेके उंचाईपर पहुंच सकते है। और बाकीके गायक बहुत पीछे। '


 

'
इस फिल्म के 'बालम आये बसों मोरे मन में' , दुःखके अब दिन बीत नाही', 'पिया बिन न  आवत चैन ' ये गाने और राग दीपक में गया हुआ  फिल्म तानसेन का 'दिया जलाओ' और 'दो नैना मतवाले हमपर जुलुम करे' , 'इक बंगला बने न्यारा' और'बाबा मनकी आँखे खोल '  गाने माँ को बहुत पसंत थे।               [ Kundan Lal Saigal was revered and idolized by her generation and even so by our generation as well. Lata Mangeshkar, Kishore Kumar, Mohammad Rafi and Mukesh considered him as their musical guru.]  

 https://youtu.be/3v4-QWk6RCQ (बाबा मनकी आँखे खोल')
रेडियो सिलोन पर दो कार्यक्रम हुआ करते थे -  सुबहः ७. ३० से ८  -पुरानी फ़िल्मके गीत और रत १० से १०.३० हमेशा जवान गीत। सुबहके कार्यक्रम का अंत कुंदन लाल सैगलके गानोंसे हुआ करता था। 'हमेशा जवान गीत' ये कितना सार्थक और अर्थपूर्ण है ; इस प्रोग्रॅम के गाने आज भी अमर - जवान है।  जैसे उस कार्यक्रमका शीर्षक गाना जताता है - खुशियों के दिन मनाये जा -दिल के तराने गाये जा - तुझको जवानी की कसम दिल की लगी बुझाये जा -दुनिया मेरी बसाये जा - अजा पिया  ,  आजा पिया - अभी तोः मैं जवान हूँ -अभी तोः मैं जवान हूँ-अभी तोः मैं जवान हूँ-अभी तोः मैं जवान हूँ-अभी तोः मैं जवान हूँ-अभी तोः मैं जवान हूँ। ये गीत फिल्म अफसाना से लिया है।





https://youtu.be/8XwHDrnkfYU  
गायक के हैसियतसे निस्संदेह कुंदन लाल सैगल अग्रगण्य माने जाते हैं। लेकिन उनके अभिनयके बारेमें बहस और वाद विवाद हो सकती है। उस ज़मानेमें एक्टर्स खुदके गाने खुद गेट थे - प्लेबैक (playback) आना बाकि था।फ़िल्मका बजट मामूली होता था, हाथ कॅमेरा लेके शूटिंग होती थी,  न थी ट्रोली या  ज़ूमिंग या  बूम्स। अब कल्पना करो जब सैगलसाहब गा रहे थे दर्द भरा अमर गाना, 'बाबुल मोरा' हाथ में मैक्रोफोन तथा कॅमेरा लिए क्रू शूट कर रहे थे।
 दूसरी 'देवास' मैंने देखि वह थी ये :








  और बाद में ये:


  ये थी १६ 'देवदास ' फिल्मे।  
साल
नाम
भाषा
निर्देशक
        कलाकार
देवदास
पारो
चंद्रमुखी
१) १९२७
देवदास
मूक चित्रपट (silent movie) 
नरेश मित्रा 
फणि शर्मा
तरकबाला 
निहारबाला/ मिस पारुल
२) १९३५
देवदास
बंगाली
पि सी बरुआ
पि सी बरुआ
जमुना बरुआ
चन्द्रबती देवी
३) १९३६
देवदास
हिंदी
पि सी बरुआ
के एल  सैगल 
जमुना बरुआ
राजकुमारी
4)  १९३७
देवदास
  आसामी
पि सी बरुआ
फणि शर्मा 
ज़ुबैदा 
मोहिनी
५) १९५३
देवदास/ देदासु
तेलगु/ तमिल
वेदांतम राघवाईहा
अक्किनेनी नागेश्वर राव
सावित्री 
ललिथा 
६) १९५५
देवदास
हिंदी
बिमल रॉय
  दिलीप कुमार
सुचित्रा सेन
वैजंतीमाला 
७) १९६५ पाकिस्तानी फिल्म )
देवदास
उर्दू
ख़वाजा सरफरा
हबीब तालिश
शमीन आरा
नय्यर सुल्ताना
८) १९७४
देवदास
तेलगु
विजया   निर्मला 
घाटमनैनी कृष्णा
विजया   निर्मला  
जयंथी 
९) १९७९
देवदास/ देबदास बंगाली
दिलीप रॉय
सौमित्र चटर्जी
सुमित्रा मुखर्जी
सुमित्रा मुखर्जी
  १० ) १९८२   (बांग्लादेशी फिल्म )
देवदास
बंगाली
चासी नज़रुल इस्लाम
बुलबुल अहमद
कबोरी सरवर
अनवरा
११) १९८९
देवदास मलयालम
क्रॉसबेल्ट मणि
वेणु नागावली
  पारवथी
पारवथी
१२) २००२
देवदास
बंगाली
शक्ति सामंत
प्रसेनजित चटर्जी
अरपिता पाल
इन्द्राणी हलदर
१३) २००२
देवदास
हिंदी
संजय लीला भंसाली
शारुख खान
ऐशवर्या राय
माधुरी दीक्षित
१४) २००९
देवदास ( आज के ज़माने की )
हिंदी
अनुराग कश्यप
अभय देवल
माहि गिल 
कलकी कोइचलिन
१५) २०१०
देवदास
उर्दू
इकबाल  कश्मीरी
नदीम शाह
ज़रा शैख़
मीरा 
१६) २०१३      ( बंगलादेशी फिल्म )
देवदास
बंगाली
चासी नज़रुल इस्लाम 
शाकिब खान
अपु बिशवास
मौशुमी 



रिमेक, कॉपी, या  अनुकूलन (adaptation) हो अक्सर जो मौलिक (original) होता है वह बेहतर होता है। मगर ये अडिग नियम नहीं। (No hard and fast rule ) फिल्म के बहुत सारे रिमेक, कॉपी और अनुकलन बने है।शेकसस्पिअर के 'कॉमेडी ऑफ़ एरर  [Comedy of Errors] के देशी अवतार थे - हिंदी  ' दो दूनी चार' (किशोर कुमार -असित सेन) और अंगूर (संजीव कुमार - देवेन वर्मा) , बंगाली 'ब्राहांतिबिलस' (उत्तम कुमार), कन्नड़ 'उल्टा पलटा ' (रमेश अरविंद ), तेलगू ' आमैत असले मैत (नवीन पाडिल) और पंजाबी डबल दी ट्रबल (दर्मेंद्र)


इंग्लिश मराठीमें किये हुए दो अच्छे अनुकूलन नमूने थे : 
१)
२)

ऐसे तो नकलची बहुत सारे होंगे।  'The God Father' के ये सरे।

मेरे समापन या अंतिम भाग एक अच्छे कॉपी -  अनुकूलन (adaptation) के बारेमे है।    सन १९५४ की इंग्लिश पिक्चर '‘Seven Brides for Seven Brothers’ किया अनुकूलन। वह थी बड़ी मनोरंजन करने वाली (entertainer) - १९८२ की  'सत्ते पे सत्ता'। वह एक सितरोंसे भरी हुई एक पिक्चर थी - अमिताभ, हेमा मालिनी, सुधीर,शक्ति कपूर, पैंटल, कंवलजीत, विमल, सचिन, रंजीता, विजेंद्र, गोगा कपूर, मैक मोहन, अमजद खान और बाकी सारे।    

मुझे साफ याद है वह दिन.। सेंट सेबेस्टियन का ९०तः वर्धापन दिन । कार्यक्रममे मैं मुख्य अथिति था । स्कुल के लगभग १००० बच्चोने एक संगीत नाटक - 'SEVEN BRIDES FOR SEVEN  BROTHERS' प्रस्तुत किया।

 इस बारेमे फिर कभी ।

विनय त्रिलोकेकर

No comments:

Post a Comment